सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शान्ति से भर जाना

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गुरुवार, 4 जून 2009

दिन हवा हुए जब पसीना गुलाब था

पचास के दशक में हिन्दी सिनेमा में विशेष पहचान बनाने वाले शहर के प्रतिष्ठित फिल्मकार एवं नाटककार प्रभातचंद मिश्रा आज गुमनामी में है। कभी बम्बई में बिहार की पहचान दिलाने वाले 82 वर्षीय श्री मिश्रा अपने ही शहर में बीमारी और अकेलेपन से जूझ रहे हैं। दुखद बात यह है कि चतुर्भुज स्थान चौक के समीप रहने वाले इस बेहतरीन फिल्मकार शहर की नयी पीढ़ी को इस बेहतरीन फिल्मकार के बारे में नही जानते। कारण, कुछ लोगों ने भुला दिया तो बीमारी के कारण श्री मिश्रा भी फिल्म और नाटक से कटते चले गये। हालांकि वर्ष 1950 से 1955 के बीच बम्बई में सनराइज पिक्चर्स की तीन फिल्मों में उनके सह निर्देशक का काम देख बड़े फिल्मकारों ने उनकी पीठ ठोकी थी। उन फिल्मों में मीना कुमारी एवं भरतभूषण अभिनीत फिल्म दानापानी, वैजयंतीमाला एवं प्रेमनाथ अभिनीत अंजाम और संस्कार फिल्में उन दिनों काफी चर्चित रही थी। निर्माता वीएम व्यास श्री मिश्रा के सटीक हिन्दी और दमदार आवाज के कायल थे। उनके निर्देश पर संस्कार फिल्म के लिए श्री मिश्रा ने महीने भर वैजयंती माला को हिन्दी उच्चारण सिखायी थी। श्री मिश्रा कहते हैं कि उस दौरान उन्होंने कई फिल्मों में चरित्र अभिनेता की भूमिका भी निभाई। जिसमें परीक्षित साहनी एवं रेहाना सुल्तान की फिल्म सूर्यमुखी प्रमुख थी। उन्होंने इस फिल्म में रेहाना की पिता की भूमिका निभाई थी। श्री मिश्रा कहते हैं कि मेरी आवाज से सोहराब मोदी भी बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अंग्रेजी फिल्म के हिन्दी रूपांतरण बोलता जंगल में मुख्य किरदार साबु की आवाज को हिन्दी में मुझसे ही डब करवाया था। मेहनताना के रूप उन्होंने मुझे 600 रुपये भी दिये। हालांकि बाद में कुछ घरेलू समस्या के कारण वर्ष 1956 में वापस पटना लौटना पड़ा। उसके बाद पटना आकाशवाणी से जुड़ गया और वर्षों नाटकों में अभिनय करता रहा। श्रीमिश्रा कहते हैं कि बिहार में मुझे सबसे ज्यादा प्रसिद्धि लोहा सिंह के नाटक से मिली। फाटक बाबा का चरित्र निभाने के कारण लोग मुझे फाटक बाबा के नाम से जानने लगे। वर्तमान हिन्दी सिनेमा एवं नाटक को श्री मिश्रा बकवास मानते हैं। कहते हैं एक वह जमाना था जब साफ-सुथरी एवं उद्देश्यपूर्ण फिल्में बना करती थी। एक-एक संवाद पर कलाकार से घंटों मेहनत करवाया जाता था। अब वह बात नहीं रही। अब सब कुछ व्यवसाय हो गया।
रिपोर्ट - विनय, मुजफ्फरपुर से

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