सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शान्ति से भर जाना

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शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

एक गीत तुम्‍हारे नाम


भाड़ में जाए मंदिर-मस्‍िजद
हम तो हिन्‍द के रखवाले हैं
रोटी दे दो, पानी दे दो
छत दे दो, कपड़े दे दो
हम कहां इबादत करने वाले हैं।


भांड़ में जाए मंदिर-मस्‍िजद
हम बच्‍चन को पढ़ने वाले हैं
रुपये दे दो, पैसे दे दो
दवा दे दो, दारू दे दो
हम कहां अयोध्‍या जाने वाले हैं।


भांड़ में जाए मंदिर-मस्‍िजद
हम मजदूर कहलाने वाले हैं
जंगल दे दो, जमीन दे दो
बीज दे दो, खाद दे दो
हम कहां धाम धांगने वाले हैं।


भांड़ में जाए मंदिर-मस्‍िजद
हम इंकलाब कहने वाले हैं
गद्दी छोड़ों गद्दार कहीं के
हम सत्‍ता में आने वाले हैं।
हम सत्‍ता में आने वाले हैं।


(रामजन्‍मभूमि- बाबरी मस्‍िजद विवाद पर हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले पर प्रतिक्रिया)
- एम. अखलाक

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