जिन दिनों भाजपा सरकार के नेतृत्व वाले गुजरात में मजहब के नाम पर इंसानियत का कत्लेआम हो रहा था। लोगों को घरों में जिंदा इसलिए जलाया जा रहा था, क्योंकि वे मुसलमान थे। भाई-भाई को लहू का प्यासा बनाया जा रहा था। जिन दिनों बाबरी मस्जिद ढाहने का जश्न मनाया जा रहा था। देश को दंगे की आग में झोंका गया था..., उस दिन आरएसएस वाले मोहन भागवत आप कहां थे? क्या कर रहे थे? यह सवाल इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि इन दिनों आप बहुत बोलने लगे हैं - देश की सम्प्रभुता खतरे में है।
हिटलर के वंशज समझे जाने वाले आपकी बिरादरी से जनता जानना चाहती है कि क्या उन दिनों देश खतरे में नहीं था? संप्रभुता व अखंडता को खतरा नहीं था?आप कहते हैं कि बंग्लादेश से घुसपैठ हो रहा है। लेकिन क्या यह सच नहीं है कि बंग्लादेशी घुसपैठियों से ज्यादा खतरनाक आरएसएस के गुंडे हैं जो देश में सांप्रदायिक उत्पात मचा रहे हैं? घुसपैठियों से तो भारतीय फौज निबट लेगी, लेकिन इन आस्तीन के सांपों से निबटने के लिए क्या किया जाये? आपके शब्दों में अगर बंग्लादेश से आतंकवादी भारत में घुस रहे हैं! तो क्या यह सच नहीं कि नेपाल के रास्ते सदियों से आतंकी देश घुसते आये हैं। जब वह हिन्दू राष्ट्र था, उस समय आपने नेपाल बार्डर सील करने की बात क्यों नहीं की?दूसरा मुद्दा आपने उठाया है नक्सलियों का। आप मानते हैं इन्हें गोलियों से भून दिया जाये। आपको अपनी इस सोच पर शर्म करना चाहिए। जिन्हें आप गोलियों से भून डालने के लिए सरकार को उकसा रहे हैं, वह गांव के गरीब हैं जिन्हें वर्षों से रोटी व रोजगार नसीब नहीं हुआ है। इन्हें आपके स्वयंसेवकों की तरह हथियार प्रदर्शन का शौक नहीं है। जरा सोचिए- आप पूजा के बहाने हथियार लहरा कर शक्ति प्रदर्शन करते हैं, कुर्सी हथियाने की सियासत करते हैं। और ये गरीब रोटी के लिए हथियार उठाते हैं, पकड़े जाने पर जेल भी जाते हैं। श्रीमान, कोई मां के पेट से बंदूक लेकर पैदा नहीं होता, और ना ही कोई बंदूक उठाना चाहता है। यह तो आप जैसे अद्र्ध सामंतों की देन है कि गरीब बंदूक उठा रहे हैं। आप व्यवस्था की खामियों को दूर करने की सियासत करते तो शायद इनके हित में होता। लेकिन आपको मंदिर, मस्जिद से फुर्सत कहां? आपको तो लोगों की लाश पर राजनीति करने में मजा आता है।
(पिछले दिनों बिहार के समस्तीपुर व मध्यप्रदेश के जबलपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिये गये भाषण पर एक प्रतिक्रिया)